भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री लगातार बदल रही है और नई नीतियों व टेक्नोलॉजी के साथ आगे बढ़ रही है। इसी बीच Reliance Jio ने सरकार को सुझाव दिया है कि मोबाइल नंबर वैलिडेशन (MNV) सर्विस को कंपनियां आपसी समझौते (mutual agreements) के ज़रिए चला सकें। इसका मुख्य मकसद है — साइबर फ्रॉड और स्पैम को रोकना। वर्तमान में सरकार ने इस सर्विस को Telecom Cybersecurity Rules 2024 के अंतर्गत पेश किया है। लेकिन Jio का कहना है कि सरकार को कंपनियों को अधिक स्वतंत्रता देनी चाहिए ताकि वे खुद अपने कमर्शियल एग्रीमेंट के ज़रिए यह सर्विस ऑफर कर सकें। यह कदम न केवल ग्राहकों की सुरक्षा को बढ़ाएगा बल्कि कंपनियों को तेजी से काम करने में मदद भी करेगा।(👉 यदि आप जानना चाहते हैं कि 5G तकनीक कैसे बदल रही है, तो हमारा आर्टिकल पढ़ें – भारत में 20000 से कम कीमत वाले 5G मोबाइल्स)
MNV सर्विस क्या है और इसकी ज़रूरत क्यों?
MNV यानी Mobile Number Validation एक ऐसी प्रणाली है जिसके तहत कंपनियां अपने यूज़र्स के मोबाइल नंबर को वैलिडेट कर सकती हैं ताकि किसी तरह का साइबर फ्रॉड, फेक सिम कार्ड इस्तेमाल या गलत जानकारी का इस्तेमाल रोका जा सके। सरकार के ड्राफ्ट के मुताबिक, इस सर्विस की कीमत ₹1.5 से ₹3 के बीच तय की गई है और इसकी फीस सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के बीच बांटी जाएगी। Jio का तर्क है कि जब कंपनियां खुद आपसी एग्रीमेंट के जरिए इसे चला सकती हैं, तो सरकारी दखल की ज़रूरत क्यों? इससे कंपनियों को अधिक लचीलापन मिलेगा और कस्टमर की सुरक्षा भी और मजबूत होगी।(👉 इसी तरह डिजिटल सुरक्षा पर हमने Oppo A97 5G रिव्यू में भी बात की है कि कैसे स्मार्टफोन्स में सिक्योरिटी फीचर्स अब पहले से और बेहतर हो रहे हैं।)
स्पैम और साइबर फ्रॉड रोकने पर कंपनियों के सुझाव
Jio के साथ-साथ Vodafone Idea (Vi) और Tata Communications ने भी सरकार को अपने सुझाव दिए हैं। Vi का कहना है कि सरकार को ग्लोबल स्तर पर स्पैम, फ्रॉड और फ़िशिंग रोकने के लिए मजबूत फ्रेमवर्क बनाना चाहिए। वहीं Jio चाहती है कि स्पैम कंट्रोल की जिम्मेदारी पूरे इकोसिस्टम में बराबर बांटी जाए। इसका मतलब है कि न केवल टेलीकॉम कंपनियां बल्कि OTT प्लेटफ़ॉर्म और अन्य डिजिटल सेवाएं भी इस जिम्मेदारी में शामिल हों। इससे यूज़र्स को सुरक्षित और भरोसेमंद अनुभव मिलेगा।(👉 इसी तरह सुरक्षा और फ्रॉड से जुड़ी और खबरें आप Indian Express – Cyber Security पर भी पढ़ सकते हैं।)
OTT प्लेटफ़ॉर्म पर रेग्युलेशन की मांग
आज के समय में WhatsApp, Telegram और अन्य OTT प्लेटफ़ॉर्म भी कम्युनिकेशन का बड़ा हिस्सा बन चुके हैं। Jio और Vi दोनों का कहना है कि अगर टेलीकॉम कंपनियों पर रेग्युलेटरी कॉस्ट और सिक्योरिटी की जिम्मेदारी है, तो OTT सर्विसेज पर भी वही नियम लागू होने चाहिए — यानी “Same Service, Same Rules” का पालन हो। Jio ने सरकार से कहा है कि 2030 तक एक ऐसी पॉलिसी बनाई जाए जिसमें OTT सर्विसेज भी टेलीकॉम जैसे नियमों के दायरे में आएं। इससे स्पैम और फ्रॉड को रोकने में आसानी होगी और सभी कंपनियों पर बराबर जिम्मेदारी होगी।(👉 OTT की दुनिया से जुड़े ताज़ा अपडेट्स के लिए Economic Times – OTT Section देखें।)
यूनिक टेलीकॉम आईडी और बायोमेट्रिक सिस्टम
Vi ने अपने सुझाव में सरकार से मांग की है कि हर यूज़र के लिए एक Unique Telecom ID बनाया जाए। यह आईडी तब काम आएगी जब कोई ग्राहक नई टेलीकॉम सर्विस ले या अपनी सर्विस अपडेट करे। दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने हाल ही में Biometric Identity Verification System (BIVS) पेश किया है, जिसमें लाइव फोटो और बायोलॉजिकल एट्रिब्यूट्स के जरिए यूज़र्स की पहचान की जाएगी। यह कदम Vi की यूनिक आईडी की मांग से मेल खाता है और यूज़र्स की सुरक्षा को अगले स्तर तक ले जा सकता है।(👉 बायोमेट्रिक टेक्नोलॉजी पर और जानने के लिए ET Telecom – Biometric Security पढ़ सकते हैं।)
DPDP Act और अन्य कानूनी ढांचे पर कंपनियों की राय
Digital Personal Data Protection Act (DPDP Act 2023) आने के बाद से कंपनियों पर डेटा प्रोटेक्शन की जिम्मेदारी और बढ़ गई है। Vi ने सरकार से अनुरोध किया है कि टेलीकॉम ऑपरेटर्स को कंसेंट मैनेजर बनने का विकल्प दिया जाए ताकि वे यूज़र्स के डेटा को सही तरीके से मैनेज कर सकें। वहीं Tata Communications ने डेटा लोकलाइजेशन और क्रॉस-बॉर्डर डेटा फ्लो पर क्लियर पॉलिसी बनाने की मांग की है। इससे कंपनियों को पारदर्शिता और लचीलापन मिलेगा।
Fixed Wireless Access और नई टेक्नोलॉजी पर जोर
Jio ने सरकार से कहा है कि Fixed Wireless Access (FWA) को 2030 तक 100 मिलियन घरों तक पहुंचाया जाए। इसके लिए लाइसेंस फीस खत्म की जाए और ग्रामीण क्षेत्रों में सब्सिडी दी जाए। Jio का मानना है कि इससे डिजिटल डिवाइड को खत्म करने में मदद मिलेगी। साथ ही Jio ने नेटवर्क स्लाइसिंग, Edge Computing, IoT और प्राइवेट नेटवर्क्स को बढ़ावा देने की भी बात कही है। वहीं Vi ने सैटेलाइट इंटरनेट (Satcom) की चुनौतियों जैसे डेटा ट्रांसमिशन और स्पेक्ट्रम मैनेजमेंट की समस्याओं को उजागर किया है।(👉 इसी से जुड़ा हमारा आर्टिकल देखें – Vivo X200 FE Review, जिसमें बताया गया है कि IoT और AI का इस्तेमाल स्मार्टफोन्स को और पावरफुल कैसे बना रहा है।)
एंटरप्राइज सर्विसेज और रिपोर्टिंग सिस्टम
Tata Communications ने सरकार से कहा है कि एंटरप्राइज सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए अलग रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क होना चाहिए। कंपनियों का मानना है कि B2B सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट और CNPN (Captive Non-Public Network) की अलग व्यवस्था होनी चाहिए। वहीं सभी कंपनियों ने कहा है कि सरकार को सेंट्रलाइज्ड रिपोर्टिंग सिस्टम बनाना चाहिए ताकि KYC और कंप्लायंस जैसी प्रक्रियाएं आसान और पारदर्शी हों।(👉 इस तरह के बिज़नेस फ्रेमवर्क की तुलना हमने अपने ब्लॉग Samsung Galaxy S26 Ultra Detailed Guide में भी की थी।)
निष्कर्ष
Jio और बाकी कंपनियों के सुझाव साफ़ दिखाते हैं कि भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री तेजी से बदल रही है और इसे भविष्य की जरूरतों के हिसाब से तैयार करना ज़रूरी है। MNV सर्विस को लेकर Jio का प्रस्ताव एक बड़ा बदलाव ला सकता है, जिससे न केवल ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ेगी बल्कि कंपनियों को भी ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी। वहीं OTT रेग्युलेशन, यूनिक टेलीकॉम आईडी, डेटा प्रोटेक्शन और Fixed Wireless Access जैसी मांगें भारत को डिजिटल रूप से और मजबूत बना सकती हैं। अगर सरकार इन सुझावों को सही तरीके से लागू करती है, तो आने वाले वर्षों में भारत की टेलीकॉम इंडस्ट्री दुनिया में एक नया मानक स्थापित कर सकती है।(👉 इसी बीच, अगर आप जानना चाहते हैं कि मार्केट में बेस्ट 5G स्मार्टफोन कौन-सा है, तो यह ब्लॉग पढ़ें – Best 5G Mobile Under ₹20000)
🙏धन्यवाद 🙏